‘‘पूर्ण परमात्मा अपने वास्तविक ज्ञान को स्वयं ही ठीक-ठीक बताता है‘‘
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प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 16 से 18
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 16 में कहा है कि पूर्ण परमात्मा के वास्तविक नाम का ज्ञान कराऐं। इसी का बोध मंत्र 17 से 20 में विशेष विवरण से कहा है तथा जहाँ पूर्ण परमात्मा रहता है उस स्थान का वर्णन किया है।‘‘पवित्र वेदों में कविर्देव (कबीर परमेश्वर) का प्रमाण‘‘
ऋग्वेद मण्डल 9 सुक्त 96 मंत्र 16
स्वायुधः सोतृभिः पृयमानोऽभयर्ष गुह्यं चारु नाम।अभि वाजं सप्तिरिव श्रवस्याभि वायुमभि गा देव सोम।।
अनुवाद:- हे परमेश्वर! आप (स्वायुधः) अपने तत्व ज्ञान रूपी शस्त्र युक्त हैं। उस अपने तत्व ज्ञान रूपी शस्त्र द्वारा (पूयमानः) मवाद रूपी अज्ञान को नष्ट करें तथा (सोतृभिः) अपने उपासक को अपने (गृह्यम्) गुप्त (चारु) सुखदाई श्रेष्ठ (नाम) नाम व मन्त्र का (अभ्यर्ष) ज्ञान कराऐं (सोमदेव) हे अमर परमेश्वर आप के तत्व ज्ञान की (गा) लोकोक्ति गान की (श्रवस्याभि) कानों को अतिप्रिय लगने वाली विश्रुति (वायुमभि) प्राणा अर्थात् जीवनदायीनि (वाजम् अभि) शुद्ध घी जैसी श्रेष्ठ (सप्तिरिव) घोड़े जैसी तिव्रगामी तथा बलशाली है अर्थात् आप के द्वारा दिया गया तत्व ज्ञान जो कविताओं, लोकोक्तियों में है वह मोक्ष दायक है उस अपने यथार्थ ज्ञान व वास्तविक अपने नाम का ज्ञान कराऐं।
भावार्थ:- इस मन्त्र 16 में प्रार्थना की गई है कि अमर प्रभु का वास्तविक नाम क्या है तथा तत्वज्ञान रूपी शस्त्र से अज्ञान को काटे अर्थात् अपना वास्तविक नाम व तत्वज्ञान कराऐ। यही प्रमाण गीता अध्याय 15 के श्लोक 1 से 4 में कहा है कि संसार रूपी वृक्ष के विषय में जो सर्वांग सहित जानता है वह तत्वदर्शी सन्त है। उस तत्वज्ञान रूपी शस्त्र से अज्ञान को काटकर उस परमेश्वर के परमपद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में नहीं आते। गीता ज्ञान दाता प्रभु कह रहा है कि मैं भी उसी की शरण हूँ। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मन्त्र 16 में किए प्रश्न का उत्तर निम्न श्लोक में दिया है कहा है कि उस अमर पुरूष का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु है।
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